काशीपुर। इस बार सुप्रसिद्ध चैती मेला महंगाई की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। प्रशासन के हाथ में चैती मेला आने के बाद से चैती मेले के टेंडर महंगे होते जा रहे हैं, जिसका सीधा असर मेले पर पड़ रहा है। महंगे टेंडर होने के बाद भी प्रशासन मेले में शौचालय आदि की समुचित व्यवस्थाएं नहीं कर सका। लोगों का कहना है कि सरकारीकरण से पहले पंडाओं का मेला ही सही था। मेले में इतनी महंगाई तो नहीं थी। यदि समय रहते मेले में महंगाई पर अंकुश नहीं लगाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब लोग मेले में सिर्फ प्रसाद चढ़ाने ही जायेंगे और वहां कुछ भी खरीदने की हिम्मत नहीं जुटा सकेंगे। महंगाई की वजह से चैती मेला आधा हो गया है। लोग मेले में खरीदारी करने से कतरा रहे हैं। मां बाल सुन्दरी देवी का डोला नगर मंदिर पहुंचने के बाद मेले की रौनक लगभग खत्म सी हो गयी है। हालांकि मेले में कुछ भीड़ नजर आ रही है लेकिन महंगाई के कारण वह उतनी खरीदारी नहीं कर पा रहे जैसे कि पुराने दौर में किया करते थे। झूलों की ही बात करें तो इन पर गरीब लोग नजर नही आ रहे हैं। निम्न व मध्यम वर्ग के लोग झूलों पर जाने से कतरा रहे है क्योंकि झूले के महंगे दाम चुका पाना उनके बस की बात नहीं है। लोगों का कहना है कि यहां झूलों का टिकट सौ-सौ रूपये का है, जबकि अन्य शहरों में लगनी वाली नुमाइशों में यही टिकट 30, 40 या 50 रूपये तक का होता है। इसी तरह खाने-पीने के सामान व बच्चों के खेल-खिलौने सभी कुछ यहां महंगा है। दुकानदारों का कहना है कि इतनी महंगी दुकान मिली है, अगर सामान महंगा नहीं बेचें तो क्या करें? महंगाई के अलावा तमाम अव्यवस्थायें भी मेले में नजर आ रही हैं जिनमें सफाई एवं पार्किंग व्यवस्था मुख्य है।


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