काशीपुर। काशीपुर के समस्त अधिवक्ताओं ने एक सुर में कहा कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन (वर्चुअल रजिस्ट्री) के नाम पर अधिवक्ताओं के हितों को प्रभावित करने का काम किया जा रहा है। आज वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश नेगी ने तहसील में चल रहे धरना प्रदर्शन के दौरान पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा कि सरकार द्वारा अधिवक्ताओं के जो संवैधानिक अधिकार जो भारतीय संविधान में उनको मिले हैं, उनको भी खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है और अधिवक्ताओं को बेरोजगार किया जा रहा है जिससे उनकी रोजी-रोटी पर भी संकट उत्पन्न हो रहा है।उत्तराखण्ड सरकार द्वारा बैनामे, वसीयत, विवाह पंजीकरण आदि को ऑनलाइन करने का जो आदेश दिया गया है उक्त आदेश से अधिवक्तागणों के विधि व्यवसाय को बड़ी हानि होगी और जिसके कारण 90% से अधिक अधिवक्ता व उनके साथ कार्य कर रहे लिपिक, कातिब, अन्य कर्मचारीगण बेरोजगार हो जाएंगे। इसी के साथ ही अधिवक्ता संदीप सहगल ने कहां की ऑनलाइन रजिस्ट्री आम जनता के हित में भी नहीं है क्योंकि आम जनता के कानून की जटिलताओं एवं रजिस्ट्रेशन की तकनीक से अनभिज्ञ होने के कारण साइबर ठगों व समाज में फैले आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्तियों एवं भू-माफियाओं द्वारा व्यापक स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के माध्यम से अपनी फर्जी उपस्थिति दिखाकर भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारियों की मिलीभगत से सरकारी एवं गैर सरकारी भूमि के साथ कम पढ़े लिखे लोगों की भूमि को भी रजिस्ट्री के द्वारा अपने नाम कर आम जनमानस को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। वही अधिवक्ता सतपाल सिंह बल ने कहा कि अधिवक्ताओं के साथ-साथ आम जनमानस पर भी इस आदेश का विपरीत प्रभाव पड़ेगा। आज काशीपुर के समस्त अधिवक्तागणों ने उक्त आदेश के विरोध में आज 11 वे दिन भी हड़ताल कर काम बंद किया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार हमारी मांगे नहीं मानती है तो यह आंदोलन और ज्यादा उग्र होगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन की होगी।

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